रायपुर। आज हमारे देश में बाल भिक्षावृत्ति एक बड़ी समस्या है। जिस कच्ची उम्र में हाथ में कागज-कलम होनी चाहिए, उस समय मासूम कटोरा थाम लेते हैं। अब इसमें दोष चाहे किसी का भी हो, लेकिन उस बच्चे की जिंदगी का क्या...जिसे यह तक पता नहीं है कि दुनिया क्या चीज होती है। महज चंद सिक्कों के लिए वे सड़कों पर कटोरा लेकर भीख मांगते हैं। वे अपनी बाल्यावस्था खो देते हैं।
देखा गया है कि जवानी में ऐसे कई बच्चे गलत संगत में पड़कर बहुत बड़े क्रिमिनल भी बनते हैं। हालांकि बाल भिक्षावृत्ति रोकने के लिए शासन-प्रशासन द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन आशातीत परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं।
ये कहना है दिल्ली के 29 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियर आशीष शर्मा का, जिन्होंने बाल भिक्षावृत्ति रोकने का बीड़ा उठाया है। इन दिनों आशीष 11,139 किलोमीटर का सफर पैदल तय कर रायपुर आए हैं। उन्होंने कई राज्यों में जाकर बाल भिक्षावृत्ति के प्रति जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए हैं। वे 2020 से पहले देशभर का सफर तय कर लोगों को जागरूक करना चाहते हैं।
ऐसा है उनका काम
आशीष बताते हैं- मैं अपनी पैदल यात्रा के दौरान जहां कहीं भी बाल भिक्षु देखता हूं, उसे सामाजिक लोगों तक पहुंचा देता हूं। उल्लेखनीय है कि आशीष अब तक नौ ऐसे बच्चों का स्कूल में दाखिला करा चुके हैं। जो कभी भिखारी हुआ करते थे, आज उनके हाथ में कागज-कलम है।
इसके अलावा स्कूल-कॉलेज जैसी जगहों में जाकर आशीष छात्रों को संबोधित करते हैं। बाल भिक्षुओं को समाज में शामिल करने की कवायद भी करते हैं। आशीष पूरे देश में 17 हजार किलोमीटर की पदयात्रा कर बाल भिक्षावृत्ति जैसी समस्या को खत्म करना चाहते हैं।
युवा पीढ़ी को जोड़ना चाहते हैं इस अभियान में
इस पहल में आशीष युवाओं को अपने साथ जोड़ना चाहते हैं। इसके लिए जहां भी वे जाते हैं, वहां के युवाओं को अपने साथ काम करने के लिए प्रेरित करते हैं। उनका मानना है कि अगर युवा इस दिशा में सजग रहेंगे तो बहुत जल्द सफलता मिल सकती है।
वे आगामी 14 जून, 2019 को उन्मुक्त दिवस मनाने की तैयारी कर रहे हैं, इसमें उनकी कोशिश है कि देशभर से कम से कम 10 लाख लोग एकत्र हों। साथ ही वे एक मोबाइल ऐप में भी बना रहे हैं। इसके तहत इस दिशा में बहुत कुछ काम किया जा सकता है।