प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल की विश्वभारती यूनिवर्सिटी के शताब्दी कार्यक्रम में हिस्सा लिया. पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले हुए पीएम के संबोधन पर हर किसी की निगाहें थीं. उन्होंने आजादी के आंदोलन में बौद्धिक योगदान में देश की कई यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के नाम गिनाए. इनमें विश्वभारती यूनिवर्सिटी के अलावा वर्तमान में लाहौर में स्थित नेशनल कॉलेज, जामिया मिलिया इस्लामिया, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी समेत एक दर्जन से ज्यादा नाम शामिल हैं.
गिनाए इन शैक्षणिक संस्थानों के नाम:
विश्वभारती विश्वविद्यालय
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय
नेशनल कॉलेज (वर्तमान में लाहौर)
मैसूर यूनिवर्सिटी
त्रिची नेशनल कॉलेज
महात्मा गांधी काशी विद्या पीठ
गुजरात विद्या पीठ
विलिंग्टन कॉलेज
अन्नामलाई यूनिवर्सिटी
लखनऊ विश्वविद्यालय
दिल्ली विश्वविद्यालय
पटना यूनिवर्सिटी
जामिया मिलिया इस्लामिया
प्रधानमंत्री ने कहा कि उस एक ही कालखंड में बनी इन यूनिवर्सिटीज ने भारत की आजादी के लिए चल रहे वैचारिक आंदोलनों को नई दिशा दी. उन्होंने कहा कि जहां भक्ति आंदोलन ने लोगों को एकजुट करने का काम किया. वहीं ज्ञान आंदोलन ने बौद्धिक मजबूती दी. इसके बाद कर्म ने हक के लिए लड़ाई का हौसला और साहस दिया. इस दौरान पीएम मोदी ने गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर की जमकर तारीफ की, उनके संदेशों पर चर्चा की और उनका गुजरात से खास कनेक्शन भी बताया.
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के तुरंत बाद तृणमूल कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. TMC की ओर से कहा गया कि पीएम मोदी बार-बार रवींद्र नाथ टैगोर के गुजरात कनेक्शन की क्यों बात कर रहे हैं. टैगोर ने हमेशा ऐसे राष्ट्रवाद का विरोध किया, जो हिंसा को बढ़ावा देता हो.
बंगाल सरकार में मंत्री बी. बासु ने कहा कि पीएम मोदी ने जाधवपुर यूनिवर्सिटी का जिक्र नहीं किया और लगातार बंगाल को नीचा दिखाने की कोशिश की. टीएमसी ने कहा कि अगर आज टैगोर जिंदा होते तो उन्हें भी उसी प्रकार निशाने पर लिया जाते, जैसे ममता बनर्जी को लिया जाता है.
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि रामकृष्ण परमहंस के कारण देश को स्वामी विवेकानंद मिले, स्वामी जी भक्ति-ज्ञान और कर्म को अपने में समाए हुए थे. भक्ति आंदोलन के बाद कर्म आंदोलन आगे बढ़ा, जिसमें कई योद्धाओं ने विदेशी आक्रांताओं को रोका जो बाद में आजादी का आंदोलन बना. पीएम मोदी बोले कि अंत में ज्ञान का संगम होने से आजादी का आंदोलन तेज हुआ. वैचारिक आंदोलन भी खड़ा किया गया और भविष्य के बारे में सोचा गया.
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि इन आंदोलनों से प्रभावित होकर ही हजारों की संख्या में लोग आजादी की लड़ाई में जान देने के लिए आते रहे. पीएम बोले कि गुरुदेव ने जिस तरह विश्वभारती को इस तरह बुना, जिसने राष्ट्रवाद की तस्वीर सामने रखी.
पीएम मोदी बोले कि वेद से विवेकानंद तक भारत के चिंतन की धारा गुरुदेव के राष्ट्रवाद में मुखर थी. पीएम मोदी ने कहा कि हमारा विकास वैश्विक होता है, गुरुदेव का संदेश ही आत्मनिर्भर भारत का आधार है.